संवाददाता बरही, योगेंद्र प्रजापति
बरही (हजारीबाग)प्रखंड के सुदूरवर्ती आदिवासी बहुल गांव रानीचुआ पंचायत के पहाड़ व घने जंगलों से घिरे धोबघट गांव व परसातरी टोला के लोग आज भी अपने पूर्वजों द्वारा वर्षों पूर्व बनाए गए कुएं का पानी पीने को मजबूर हैं। आज भी यहां के लोग शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं। चुनाव के पूर्व बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, दिन में सभी सपने दिखाते हैं लेकिन समाधान सिर्फ सपना ही रह जाता है। रानीचुआ पंचायत सचिवालय से करीब 17 किलोमीटर दूर पहाड़ व जंगलों से घिरा धोबघट गांव है। परसातरी टोला व धोबघट की करीब 150-200 की आबादी वाले इस गांव में शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। परसातरी टोला व धोबघट में वर्षों पूर्व बना एक कुआं है। जो गर्मी आते ही सूखने लगता है। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें अपने दैनिक कार्य निपटाने व पेयजल के लिए काफी परेशानी हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि धोबघट गांव में चल रहे राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बच्चे कुएं का पानी पीते हैं। वर्षों पूर्व बने कुएं से पानी पीने वाले ग्रामीणों में तुलेश्वर सिंह, ललन सिंह, टेकलाल सिंह, जागेश्वर सिंह, सुरेंद्र सिंह, कुलदीप सिंह, जुगेश्वरी देवी, ललिता देवी, मंजू देवी, सरिता देवी ने बताया कि कुआं काफी पुराना होने के कारण धंस गया है, जिसके कारण पानी गंदा आता है। हैंडपंप नहीं होने के कारण मजबूरी में हमें पानी पीना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि सरकार द्वारा कई लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में हम लोग उसका लाभ नहीं उठा पाते हैं।
क्या कहते हैं जिप उपाध्यक्ष किशुन यादव : इस संबंध में जिप उपाध्यक्ष किशुन यादव ने बताया कि बोरवेल मशीन गाड़ी गांव तक जाने के लिए धोबघट सड़क नहीं थी, सड़क की मरम्मत करा दी गई है। 10 से 15 दिनों में बोरिंग हो जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले गांव में बिजली का ट्रांसफार्मर और टावर की व्यवस्था कर दी गई है। जो कुछ दिनों बाद सुचारू रूप से काम करने लगेगा।
क्या कहते हैं स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि रामचंद्र टुडू
स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि रामचंद्र टुडू ने बताया कि इस समस्या को लेकर कुछ दिन पूर्व ही पीएचडी विभाग को आवेदन दिया गया है और जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान किया जाएगा।